कला और साहित्य की नगरी है , दतिया -- डाॅ.आलोक सोनी
तुलसी साहित्य अकादमी ने की काव्यगोष्ठी
दतिया / " उत्कृष्ट कला साधकों के बीच में आकर , आज बहुत ही सुखद अनुभव हो रहा है । तुलसी साहित्य अकादमी इस क्षेत्र में अच्छा काम कर रही है । सभी साहित्यकारों ने अच्छी रचनाएं सुनाई । कला एवं साहित्य की नगरी है दतिया "-- उक्त विचार तुलसी साहित्य अकादमी , इकाई -- भांडेर के तत्वाधान में , शिक्षक अमर सिंह दिनकर के सीतानगर निवास पर आयोजित ,काव्यगोष्ठी में , मुख्य अतिथि की आसंदी से , अनेक अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से विभूषित , सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. आलोक सोनी ने व्यक्त किए । अध्यक्षता साहित्यकार एसडी शर्मा ने की । विशिष्ट अतिथि के रूप में साहित्य अकादमी से पुरस्कृत साहित्यकार डॉ. राज गोस्वामी उपस्थित थे । कार्यक्रम का सफल संचालन से साहित्य अकादमी से प्रकाशित कृति लेखक कमल कांत शर्मा ने किया । स्वागत भाषण कार्यक्रम आयोजक राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक अमर सिंह दिनकर ने प्रस्तुत किया । सरस्वती वन्दना सुनाते हुए मनीराम शर्मा ने कहा -- जहां बिराजी मां पीतांबरा , जग प्रसिद्ध स्थान , गायें हम दतिया गौरव गान " भरपूर सराही गई । साहित्यकार महेश कुमार लक्षकार अनुरागी ने कविता पाठ करते हुए कहा -- " गोरी खेलन आई फाग ,सखियन संग होरी में ।" भरपूर सराही गई , तो वही पंडित पूरन चंद शर्मा ने बेहतरीन रचना सुनाते हुए कहा -- " अंधकार से लड़ना है , तो दीपक बनकर जलना होगा , अंधकार को दलना होगा ।" सभी ने तालियां बजाकर रचना का स्वागत किया । कार्यक्रम आयोजक अमर सिंह दिनकर ने कहा -- बोली अमरमूल है बोली ।ये ही विष की गोली । यहीं से बैठते हैं सिंहासन , यही से जीते डोली ।" सभी ने उनका उत्साहवर्धन किया । कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. राज गोस्वामी ने कहा -- एक मिनट को मांग मोबाइल , की घंटे भर बात । "व्यग्य रचना सुनकर सभी खिलखिला उठे । वही कार्यक्रम का संचालन कर रहे पंडित श्रेष्ठ कमल कांत शर्मा ने कहा -- " हमारे सब से रिश्ते हैं , गांव गांव और शहर शहर में हम ही दिखते हैं ।" बहुत सराही गई। एसडी शर्मा ने कहा -- स्तरीय की खोज में , सत्य ही भटक रहा । "सभी आनंद मय हो गये । इस अवसर पर सोने खान , रामस्वरूप बोहरे , आदेश खान , अनीता अहिरवार , शारदा कुशवाहा सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे ।आभार आभार आदर्श दिनकर ने व्यक्त किया ।
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