हमारे संवाददाता गिरजा शंकर अग्रवाल ने अभिनेत्री साधना जायसवाल से बात किया तो उन्होंने बताया की "मैं जब स्कुल में पढ़ती थी तो स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहते थे। वही से मेरे मन में इच्छा जागृत हुयी कि मुझे प्रयास करना चाहिए। मैंने इस ओर ध्यान देना प्रारम्भ किया क्योकि मेरी आवाज़ को सब लोग पसन्द करते थे और मैंने संगीत सीखना प्रारम्भ किया। एक दिन फ़िल्म " फूल और कांटे " के लेखक इकबाल दुरानी से भेंट हुयी। उन्होंने मेरी बहुत सहायता की। उनके यहाँ मैंने नौकरी किया। हमारी धीरे धीरे पहचान बनती गयी और मुझे अभिनय करने का सुझाव दिया। मैंने एक लघु फिल्म " भीगी पलकें' में एक छोटा सा भूमिका निभाया। इसके बाद फिल्म के ऑफर मिलने लगे। मैंने कई वेब सीरीज में काम किया है। बिहार की फिल्म करने के बाद हैदराबाद की फ़िल्मो के ऑफर मिलने लगे। हैदराबाद में मिस्टर खान, बाबा जानी, चलती क्या नो से बारह, सजाय मौत इत्यादि में काम किया। कई फिल्म निर्देशक ने प्रशंसा किया और प्रोत्साहित भी किय। जूनियर महमूद के साथ मज़ाक मस्ती में काम किया। दआशा है की शीघ्र ही मेरी फिल्म दर्शक के सामने होगी। आगे भी हमारे पास कई प्रोजेक्ट के ऑफर आ रहे हैं। मैंने कई मराठी विज्ञापन किये हैं।" उन्होंने यह भी बताया कि आगे हमारी इच्छा है कि बड़े बजट की फ़िल्म में काम करुँ।
फूल और कांटे के लेखक के सहयोग से मिली प्रसिद्धि
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