संस्कृति को सहेजने के लिए ऐसे आयोजन आवश्यक हैं। डॉक्टर विकास दुबे

संस्कृति को सहेजने के लिए ऐसे आयोजन आवश्यक हैं-डॉ विकास दवे
डॉ विकास दवे को मिला ‘भाषा भूषण सम्मान’
एक विदेशी साहित्यकार समेत पंद्रह राज्यों के एक सैकड़ा साहित्यकार हुए सम्मिलित
दो दिवसीय अखिल भारतीय साहित्यकार सम्मेलन सम्पन्न 

दतिया। ‘लगातार हमारी संस्कृति पर हो रहे पश्चिमी और वामपंथी वैचारिक प्रहारों से बचने के लिए हमारे मर्यादित मूल्य की रक्षा करने के लिए ऐसे आयोजनों का होना बहुत आवश्यक है मैं आयोजन समिति और आयोजक जगत शर्मा भानु शर्मा को बहुत साधु-बाद देता हूं कि उन्होंने ऐसे आयोजन करने का बीड़ा उठाया है।’ उक्त विचार मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक और अखिल भारतीय साहित्यकार सम्मेलन में भाषा भूषण राष्ट्रीय सम्मान से विभूषित किए गए डॉ विकास दवे ने उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि की आसंदी से कहे। विगत 12 वर्षों से लगातार आयोजित हो रहे हिंदी महोत्सव के अंतर्गत तीसरा अखिल भारतीय साहित्यकार सम्मेलन का आयोजन स्थानीय ब्लू स्टार होटल में किया गया जिसमें 15 राज्यों के लगभग एक सैकड़ा साहित्यकार सम्मिलित हुए। उनके साथ-साथ लंदन से भी एक विदेश निवासी साहित्यकार पवन पॉल आयोजन में सम्मिलित हुए। इस दो दिवसीय आयोजन में साहित्यकारों ने सामाजिक पारिवारिक परिपेक्ष में साहित्यकारों की भूमिका पर विमर्श किया।
डॉ दवे को किया गया भाषा भूषण सम्मान से अलंकृत
अखिल भारतीय साहित्यकार सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक डॉक्टर विकास दावे को वर्ष 2023 का अखिल भारतीय भाषा भूषण सम्मान प्रदान किया गया। इस सत्र में उन्होंने सत्र अध्यक्ष की आसंदी से सभा को संबोधित किया। सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध व्यवसायी और कई सामाजिक सांस्कृतिक आयोजनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले अमित अग्रवाल मौजूद रहे। वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में महिला बाल विकास अधिकारी अरविंद उपाध्याय, लॉर्ड कृष्ण के संचालक सुमित रावत, भारत विकास परिषद के जिला अध्यक्ष चंद्र प्रकाश अग्रवाल, लिटिल फलावर ग्रुप के संचालक मनिंदर सिंह समाजसेवी और एलइाईसी अधिकारी अजय शर्मा मुख्य रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया गया। जिसके बाद मां सरस्वती की वंदना शिमला से आई हुई डॉ प्रतिभा पॉल ने की। वही अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति के भानु शमार्, कमलकांत शर्मा, हरि कृष्ण हरि, शैलेंद्र बुधोलिया, सुंदर श्रीवास्तव, डॉक्टर लखन लाल सोनी ने किया। सत्र का संचालन कार्यक्रम आयोजक जगत शर्मा ने किया वहीं आभार सत्र संयोजक डॉ ज्योत्सना सिंह ने व्यक्त किया।
उद्घाटन सत्र के दौरान सांस्कृतिक आयोजन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के लिए श्री अमित अग्रवाल, श्री अरविंद उपाध्याय, श्री सुमित रावत, श्री मनिंदर सिंह, श्री अजय शर्मा, चंद्र प्रकाश अग्रवाल, श्री दीपक सचदेवा, श्री दीपक भंवानी, श्री महेंद्र पाठक, डॉ हेमंत जैन आदि समाजसेवियों को संस्कृति संरक्षक सम्मान से विभूषित किया गया। इस दौरान नगर के समस्त साहित्यकारों के साथ-साथ अन्य प्रांतों से आए हुए साहित्यकारों ने साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ विकास दवे का माल्यार्पण कर अभिनंदन किया।
उद्घाटन सत्र में दतिया के साहित्यकार श्री पूरन चंद शर्मा की कृति कनक मृग और और मनीराम शर्मा की कृति ‘हम हैं इन गांवन के ठौर के’ का विमोचन किया गया। इसके बाद इन दोनों पुस्तकों पर क्रमशः कमलकांत शर्मा और डॉ आरपी गुप्ता ने समीक्षा की। इसके अतिरिक्त डॉ राज नारायण बहरे ने कमलकांत शर्मा की पुस्तक ‘महिमा प्रभु श्री राम की’ पर भी अपनी टिप्पणी क।ी चित्तौड़गढ़ राजस्थान से आई हुई साहित्यकार सुभदा पांडे की पुस्तक ‘70 के दशक के बाद’ का विमोचन भी उद्घाटन सत्र में हुआ।
प्रथम सत्र में सभी साहित्यकारों ने दिया अपना साहित्यिक परिचय
पूरी से अनुशासित दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन 6 सत्रों में संपन्न हुआ जिसमें प्रथम सत्र परिचय का रहा इस सत्र की अध्यक्षता हैदराबाद से आई हुई साहित्यकार डॉ सरिता सुराणा ने की वहीं मुख्य अतिथि के रूप में भारत विकास परिषद के जिला अध्यक्ष चंद्र प्रकाश अग्रवाल उपस्थित रहे विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉक्टर प्रदीप मिश्रा मेरठ डॉक्टर अर्चना सिंह कानपुर श्री तन्हा नागपुरी नागपुर महाराष्ट्र श्री रामनिवास तिवारी निवाड़ी श्रीमती मिंट शर्मा हाजीपुर बिहार और अशोक राय वत्स जयपुर उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन ग्वालियर के साहित्यकार आदित्य अजनबी ने किया। इस सत्र में विभिन्न प्रांतो से आए हुए सभी साहित्यकारों ने अपना साहित्यिक परिचय मंच के माध्यम से दिया।
पारिवारिक सामाजिक परिपेक्ष में साहित्यकारों की भूमिका पर हुआ गहन विमर्श
आयोजन के तृतीय सत्र में कार्यक्रम के मूल विषय वर्तमान सामाजिक पारिवारिक परिपेक्ष में साहित्यकारों की भूमिका पर किया गया। इस सत्र की अध्यक्षता आयोजन समिति अध्यक्ष अंशु भदोरिया ने की। वहीं मुख्य अतिथि के रूप में साहित्य अकादमी के निदेशक डॉक्टर विकास दवे मंचासीन रहे। विशिष्ट अतिथि मनिंदर सिंह जी, डॉक्टर निलय गोस्वामी, डॉक्टर मीना श्रीवास्तव ग्वालियर, डॉ आर के तिवारी मतंग अयोध्या, डॉ सुधा सिंह ग्वालियर, विशिष्ट अतिथि डॉक्टर राजेश तिवारी मक्खन झांसी जिला अध्यक्ष हिन्दी साहित्य भारती झांसी उ प्र  और डॉ सीमा मंजरी मेरठ उत्तर प्रदेश रही। सत्र के अंतर्गत बाहर से आए हुए विभिन्न साहित्यकारों ने भी अपने विचार रखें। वहीं बीज बिषय जगत शर्मा ने रखा। इस दौरान विभिन्न प्रांतों से आए हुए आमंत्रित अतिथि साहित्यकारों को डॉ अन्नपूर्णा भदोरिया स्मृति साहित्य सृजक सम्मान 2022 प्रदान किया गया।
डॉ अन्नपूर्णा भदोरिया साहित्य सृजक सम्मान प्राप्त करने वालों में डॉ प्रदीप मिश्रा अजनबी मेरठ, श्रीमती सरिता सुराणा हैदराबाद, डॉक्टर अर्चना सिंह चौहान कानपुर, तन्हा नागपुरी नागपुर, रामनिवास तिवारी निवाड़ी, श्रीमती मिंट शर्मा हाजीपुर बिहार, अशोक राय जयपुर राजस्थान, डॉक्टर मीना श्रीवास्तव ग्वालियर, डॉक्टर आर के तिवारी मतंग अयोध्या, डॉ सुधा सिंह ग्वालियर, डॉक्टर प्रतिभा त्रिवेदी ग्वालियर, श्री राजेश तिवारी मक्खन झांसी, सीमा मंजरी मेरठ, डॉक्टर प्रतिभा पॉल शिमला, डॉक्टर पवन पॉल ब्रिटेन, हर्शेन्द मेहता शिमला, अर्जित मेहता शिमला, डॉक्टर कृष्णा सिंह ग्वालियर, डॉक्टर सुभदा पांडे चित्तौड़गढ़ राजस्थान, डॉक्टर पप्पू राम सहाय झांस, श्री प्रमोद दीक्षित मलय बांदा, डॉक्टर अरुण नगर उरई, डॉक्टर इंदु विवेक उरई, श्रीमती शिखा गर्ग उरई, डॉक्टर पवन तूफान झांसी, उमेश उमंग चेन्नई, कृष्ण कुमार दुबे कोलकाता, डॉक्टर सीता सागर मुजफ्फरपुर बिहार, डॉक्टर उषा कृष्ण श्रीवास्तव मुजफ्फरपुर बिहार, संजय कुमार अभीष्ट पटना बिहार, डॉक्टर रेनू शर्मा भागलपुर बिहार, अरविंद चौहान कानपुर, सीताराम मीणा बारां राजस्थान, रामेश्वर शास्त्री राजस्थान, माही मुंतजिर दिल्ली, अभिषेक मिश्रा दिल्ली, आरती अक्षत ग्वालियर, पुष्पा मिश्रा ग्वालियर, डॉ मंजूलता आर्य ग्वालियर, सोनिया सिंह ग्वालियर, आदित्य राजोरिया डबरा, मणीन्द्र कौशिक मुरैना, शिवम तोमर इटावा, डॉक्टर अमित शर्मा शिवपुरी, डॉ चंद्रशेखर गोस्वामी भोपाल, डॉ सुरेश अकेला प्रयागराज, राहुल शाह कुंवर नागपुर, गीता द्विवेदी कानपुर, सीता कटियार कानपुर, राम लखन शर्मा ग्वालियर, अजीत सिंह राठौड़ कानपुर, राकेश सोनी झांसी, विजय कुमार सैनी झांसी, उदयभान रजक ग्वालियर, गजेंद्र परमार भिण्ड, रविंद्र परमार भिण्ड, रवि शंकर भट्ट लखनऊ, सुभाष चंद्र गुरुदेव लखनऊ, महेंद्र सिंह रायपुर, श्री पंत पांडा उड़ीसा, खुशबू सुराणा हैदराबाद, मनोज रिछारिया छतरपुर समेत विभिन्न प्रांतो के लगभग 100 साहित्यकारों के नाम प्रमुख है।
साहित्यकार सम्मेलन में स्थानीय पत्रकारों का हुआ सम्मान
कार्यक्रम के चौथे सत्र में स्थानीय पत्रकारों का सम्मान किया गया इस सत्र की अध्यक्षता एलआईसी अधिकारी श्री अजय शर्मा ने की वहीं मुख्य अतिथि के रूप में डॉक्टर हेमंत जैन मौजूद रहे विशेष अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार अशोक शर्मा पत्रिका समाचार समूह के प्रबंधक दीपक भंवानी झांसी के पत्रकार पवन तूफान और समाजसेवी महेंद्र पाठक मुख्य रूप से उपस्थित रहे सत्र का संचालन पत्रकार आशुतोष मिश्रा ने किया। इस दौरान लगभग दो दर्जन स्थानीय पत्रकारों को मंच पर आमंत्रित कर शॉल और हिंदी महोत्सव का अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया कार्यक्रम के अंत में सत्र संयोजक रमाकांत मिश्रा ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन के रूप में संपन्न हुआ अंतिम सत्र
लगभग 12 घंटे तक निरंतर चले आयोजन का अंतिम सत्र अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और स्थानीय साहित्यकार शिक्षक सम्मान के साथ संपन्न हुआ कार्यक्रम की अध्यक्षता शिमला की सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ प्रतिभा पॉल ने की वहीं मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध व्यवसाई और समाजसेवी दीपक सचदेवा जी मौजूद रहे। सत्र के विशिष्ट अतिथि के रूप में भारत विकास परिषद के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश अग्रवाल डॉक्टर कृष्णा सिंह भोपाल से पधारे शिशिर अग्रवाल डॉक्टर सुभदा पांडे डॉक्टर पप्पू राम सहाय प्रमोद दीक्षित मलय और डॉक्टर अरुण नगर मंचासीन रहे। इस सत्र का प्रारंभ मां सरस्वती की वंदना के बाद स्थानीय साहित्यकारों के सम्मान से किया गया जिसमें लगभग 40 स्थानीय साहित्यकारों को सम्मानित किया गया वहीं एक दर्जन शिक्षकों को भी मंच पर अतिथियों ने सम्मानित किया इस सत्र का संचालन डॉक्टर पवन तूफान ने किया वहीं स्वागत भाषण राकेश सोनी जी ने किया। सत्र के अंत में सत्र के सहसंयोजक अनिल शुक्ला जी ने आभार व्यक्त किया इस दौरान अतिथि और स्थानीय कवियों ने अपना काव्य पाठ किया कार्यक्रम के अंत में आदित्य संस्कृति के संपादक भानु शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया।
सद्ग्रंथों की शोभायात्रा से प्रारंभ हुआ दूसरे दिवस का आयोजन
दो दिवसीय अखिल भारतीय साहित्यकार सम्मेलन के दूसरे दिन का प्रारंभ सद्ग्रंथों की शोभायात्रा से किया गया जिसका संयोजन साहित्यकार और रंगकर्मी संगीतकार विनोद मिश्रा सुरमनी ने किया इस कार्यक्रम में आमंत्रित अतिथि साहित्यकारों के साथ-साथ स्थानीय समाजसेवियों शिक्षकों और साहित्यकारों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती के पूजन से किया गया जिसके बाद श्री रामचरितमानस समिति समस्त पुराने और अन्य पुस्तकों का पूजन किया गया पूजन के बाद सभी साहित्यकार टोली के रूप में आयोजन स्थल ब्लू स्टार से राजगढ़ चौराहे पर स्थित राष्ट्रीय कवि मैथिलीशरण गुप्त की प्रतिमा तक सद् ग्रंथों को वहां लेकर पहुंचे जहां पर राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि व्यक्त की गई। कार्यक्रम के दौरान बरसात ने भी बाधा डालने का प्रयास किया लेकिन साहित्यकारों ने बारिश में भी जाकर कार्यक्रम को संपन्न किया।

देश भर से आये साहित्यकारों ने किया दतिया के विभिन्न धार्मिक ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण 
दो दिवसीय अखिल भारतीय साहित्य का सम्मेलन का समापन देश के विभिन्न प्रांतो से आए अतिथि साहित्यकारों को दतिया के धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करने के साथ संपन्न हुआ। भ्रमण कार्यक्रम के संयोजक एसडी शर्मा ने सभी साहित्यकारों को दतिया नगर के मां पीतांबरा पीठ, वीर सिंह पैलेस, श्री राम लला मंदिर असनई और जैन तीर्थ स्थान सोनागिर के मंदिरों का भ्रमण कराया। अतिथि साहित्यकार दतिया में स्थित इन विभिन्न रमणीयक स्थलों को देखकर भाव विभोर हो गए और उन्होंने दतिया के विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक स्थलों की भूरी भूरी प्रशंसा की। कार्यक्रम का समापन झांसी के ऐतिहासिक किले पर किया गया जिसके बाद सभी अतिथियों को विदाई दी गई।
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 विशिष्ट अतिथि राजेश तिवारी 'मक्खन' जिला अध्यक्ष हिंदी साहित्य भारती झांसी का सम्मान करते हुए डा. विकाश दवे जी निदेशक म प्र साहित्य अकादमी

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