मार्गदर्शी हैं डॉक्टर सीकर - ए पी सी संतोष शर्मा


डॉ.सीकर स्मृति कविता पर्व का 215 वाॅं अंक सम्पन्न 

दतिया /  "    अठारह वर्षों से , समाज में , ऊर्जा दिशा देने का काम कर रहा कविता पर्व । कला , संस्कृति , साहित्य के क्षेत्र में स्थापित  ब्रांड बन गये डॉ.आलोक सोनी का यह कविता पर्व अनूठा अनुपम है । यहां आकर सभी की रचनायें सुनकर ,मन प्रफुल्लित हो गया है । मार्गदर्शी है डॉ.सीकर  कविता पर्व ।   " -----    उक्त विचार डॉ. आलोक संस्थान के तत्वावधान में , न्यू दतिया पब्लिक स्कूल के परिसर में , डबल डायमंड  जुबली  समारोह के वाद  , आयोजित 216 वें   मासिक  डॉ.सीकर स्मृति  कविता पर्व में  , मुख्य अतिथि की आसंदी से जिला शिक्षा केन्द्र दतिया के एपीसी संतोष शर्मा  ने व्यक्त किए  । अध्यक्षता संस्थान के अध्यक्ष  प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. आलोक सोनी ने की । विशिष्ट अतिथि के रूप में भाजपा की वरिष्ठ नेत्री श्रीमती संघमित्रा कुरील  उपस्थित थे ।  कविता पर्व का संचालन सुप्रसिद्ध कवि डॉ.अरविंद श्रीवास्तव  ने किया  । मधुर स्वर लहरी में ,युवा कवि रविभूषण खरे ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की ।  विशिष्ट अतिथि श्रीमती संघमित्रा  ने कविता पर्व पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा --   " कविता पर्व मैं आकर मुझमें , नई उमंग ,नई दिशा  का संचार हुआ है  । सफल और स्थापित है  कविता पर्व   । " अहिसास संस्था के अध्यक्ष कवि मनीराम  शर्मा ने  कविता पाठ करते हुए कहा --"                    जहां  बिराजी  मां  पीतांबरा , जग प्रसिद्ध स्थान । गायें हम दतिया गौरव गान । 'सराही गई । प्रसिद्ध लेखक गोविंद मिश्रा ने कविता पर्व की भरपूर सराहना की । वही जीतेन्द्र गौतम गुरु ने  कहा - " पंचतत्व से बनी ये  दुनिया , मंदिर महल  शिवाले । मस्जिद गिरजाघर गुरुद्वारे , सब के रूप निराले  ।। ," भरपूर सराही गई ।  युवा कवियत्री अर्चना जाटव ने कविता सुनाते हुये कहा --" स्मृति कविता पर्व मना रये , डॉ.सीकर कौ शीश झुका रये । दौ सौ सोलहवां  कविता पर्व है सो हम तुम्हे बता रये ।। " भरपूर  आनंदित कर गई । सुंदरलाल श्रीवास्तव ने बुन्देली रचना सुनाते हुए कहा --  " उन पे कोऊ रंग न डारे ,वे रंग खों,मों फारे । "   । कवि सुघर सिंह रावत ने कविता सुनाते हुए कहा -" मेरे देश को दंगों में , जलाते हो  किसलिए । ये जुल्मों सितम अपनों पर , ढातें हो किसलिए। " भरपूर प्रसन्न किया ।  इस अवसर पर संस्थान अध्यक्ष डॉ आलोक सोनी ने सभी साहित्यिक मित्रों के साथ मिलकर  , संतोष शर्मा , संघमित्रा  का  , अंगपट्टिका ,  श्रीफल ,भेंट करके ,उनके सामाजिक योगदान को सम्मानित किया ।    पूर्व प्राचार्य कमलकान्त शर्मा और पूर्व बैंक प्रबंधक बीपी सेन ,सुगम , जनशिक्षक रविभूषण खरे ने  बेहतरीन रचना सुनाई । राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक कवि अमर सिंह दिनकर ने कहा - " दुनिया में कम शब्दों में , लिया जाता जो नाम । वही है मां हमारी , मां को करू प्रणाम ।" तो वही साहित्य अकादमी से पुरस्कृत डॉ. राज गोस्वामी ने कहा -- " किसी के गम में कटी  जिंदगी , डाउनलोड में कटी जिंदगी "। सराही गई ।सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. राजेंद्र सिंह खेंगर ने कहा -" माॅं - पिता की दुआ , जिसको मिलती रहे । हर कली उसके जीवन में , खिलती रहे ।।" तो वही हास्य कवि अरूण सिद्ध गुरु ने कहा -- " दिल लगा , दिल्ली चली गई । प्यार किया इटली  चली गई ।" इस अवसर पर वीरसिंह वीरू ,  ने भी रचना पाठ किया । इस अवसर पर सब इंस्पेक्टर हरदास अहिरवार ,तथा कोतवाली दीवान शिवचरण शाक्य उपस्थित थे ।अंत में डॉ.राज गोस्वामी के प्रस्ताव‌ देते हुये कहा -- , महान साहित्यकार पुण्यात्मा डॉ.एल.आर सोनी सीकर की स्मृति को चिरस्थाई बनाने हेतु मूर्ति स्थापित की जाये । जिसे सभी साहित्यकारों ने  सर्वसम्मति से सहमति दी । तदनुपरान्त सभी साहित्यकारों ने दो मिनट का मौन धारण करके , श्रृद्धांजलि दी ।  आभार पूर्व प्राचार्य कमलकान्त शर्मा ने व्यक्त किया हैं।

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